पाकिस्तान (Pakistan) में पिछले कई सालों से अल्पसंख्यक समुदायों विशेषकर हिन्दुओं की नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म और उनके धर्म
परिवर्तन कराए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं. ये बताता है कि वहां महिलाओं की दुर्दशा क्या है?

Source – News18
By – संतोष के वर्मा
पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए सदा से एक खतरनाक स्थान बना हुआ है. यहां के अल्पसंख्यक चाहे वे हिन्दू हों या ईसाई, यहां तक कि इस्लाम के अंतर्गत आने वाले जिकरी और अहमदी जैसे अनेक छोटे-छोटे समुदाय अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्षरत हैं. पिछले कई वर्षों से अल्पसंख्यक समुदायों विशेषकर हिन्दुओं की नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म और उन्हें जबरन अपहृत कर उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कराकर उनकी जबरदस्ती शादी कराने जैसी घटनाओं में तीव्रता से वृद्धि हुई है. इस वर्ष इसी तरह की कुछ जघन्यतम घटनाओं ने दुनिया भर में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महिलाओं की इस दुरावस्था की ओर ध्यान आकर्षित किया. इस वर्ष सितम्बर में सिंध के घोटकी में नम्रता चांदनी नामक चिकित्सा विज्ञान की छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई. पुलिस और प्रशासन दोषियों को पकड़ने के बजाय इसे आत्महत्या सिद्ध करने में लगे रहे.
बलात धर्म परिवर्तन का जूनून
इसी वर्ष होली की पूर्व संध्या पर भी पाकिस्तान में इसी तरह की एक भयानक घटना को अंजाम दिया गया. इस दिन पाकिस्तान के सिंध प्रांत के घोटकी जिले की धारकी से दो हिंदू नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर लिया गया और बलपूर्वक इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया. उनकी जबरदस्ती शादी करा दी गई. दक्षिणी सिंध में बड़ी संख्या में निवास करने वाले मेघ्वार समाज से संबंधित इन लड़कियों रीना मेघवार (12) और रवीना मेघवार (14) का उनके घर से अपहरण कर लिया गया था.
जबरन शादी को स्वीकार करती है पाकिस्तान की पुलिस
अपहरण के बाद ही एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें मौलवी दोनों लड़कियों का निकाह कराते दिख रहे हैं. इसके बाद एक और वीडियो सामने आया जिसमें लड़कियां इस्लाम अपनाने का दावा करते हुए कह रही है कि उनके साथ किसी ने जबरदस्ती नहीं की है. हालांकि इस मामले में पाकिस्तान के क़ानून की धारा 365 बी (अपहरण, जबरन शादी के लिए महिला का अपहरण), 395 (डकैती के लिए सज़ा), 452 (चोट पहुंचाने, मारपीट, अनधिकृत रूप से दबाने के उद्देश्य से घर में अनाधिकार प्रवेश) के तहत लड़कियों के भाई सलमान दास, पुत्र हरि दास मेघवार के बयान पर स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है परन्तु यह एक हैरान कर देने वाली बात है कि लड़कियों का बंधक अवस्था का यह कबूलनामा पाकिस्तान की पुलिस को स्वीकार भी है.
जब लड़कियों के परिजनों द्वारा पुलिस को इस सम्बन्ध में शिकायत की गई तो उसका रुख अत्यधिक उपेक्षापूर्ण रहा. पुलिस ने दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के बजाय लड़कियों को ही दोषी करार दे दिया. सिंध पुलिस के ट्वीट में एक वीडियो में दो लड़कियों के बयानों का उल्लेख करके ‘अपहरण’ को सही ठहरा दिया. साथ ही साथ पुलिस ने जानबूझकर कार्रवाई में देरी की, जिसके कारण अपराधी लड़कियों को प्रांत के बाहर पंजाब के एक शहर रहीमयार खान में ले जाने में कामयाब हो गए.हिंदू सांसद ला सकते हैं जबरन धर्मांतरण के खिलाफ बिल पाकिस्तान में हिंदू समुदाय ने इस घटना के विरोध में कड़ी प्रतिक्रया व्यक्त की है. देश के अल्पसंख्यकों से किये गए अपने वादों की प्रधानमंत्री इमरान खान को याद दिलाते हुए, इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आह्वान किया. इमरान खान की पार्टी के एक सदस्य और नेशनल असेम्बली के एक हिंदू सांसद रमेश कुमार वंकवानी ने एक पांच सूत्री प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया है, जिसमें हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने की मांग की गई है.
असेम्बली के अगले सत्र में इस बिल के प्रस्तुत किए जाने की संभावना है. इसके साथ ही साथ पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली में उन्होंने विवादास्पद मुस्लिम प्रचारकों जैसे मियां मिट्ठू भरचोंडी और पीर अयूब जान सरहिंदी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, ताकि हिंदू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन में उनकी सक्रिय भूमिका को रोका जा सके.
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय करार पर हस्ताक्षर किए हैं और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन (CEDAW) की पुष्टि की है. इसका अनुच्छेद 16 हर महिला को केवल उनकी स्वतंत्र और पूर्ण सहमति से विवाह सम्बन्ध में प्रवेश करने के अधिकार की पुष्टि करता है. परन्तु वास्तविक स्थिति अत्यधिक भयावह है.
कानून नहीं हैं… और जो हैं भी, उनका पालन नहीं हो रहा
इसके बाद जो बिल लाया गया उसने जबरन धर्म परिवर्तन के बारे में कई पेचीदगियों को उजागर किया. धर्मपरिवर्तन और बलात विवाह को रोकने के लिए विशिष्ट संस्थानों को ज़िम्मेदार बनाने की बात हुई. साथ-साथ इन मामलों में व्यवहार के लिए कानूनी दिशानिर्देशों को लागू करने का प्रयास किया जो अदालत की प्रक्रिया की अखंडता की रक्षा करने के साथ-साथ उसे और भी सक्षम बनाता.
इसने वैध विवाह के लिए आयु सीमा पर मौजूदा कानून का समर्थन करने के लिए तथा धर्मान्तरण हेतु एक आयु सीमा का भी प्रावधान रखा. हालांकि इस बिल में अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक हितों को सुरक्षित करने के बजाय उनमे सेंध लगाने के उपायों को ही रेखांकित किया था. फिर भी यह कट्टरपंथियों को रास नहीं आया. नवंबर 2016 में, बिल को सर्वसम्मति से सिंध प्रांतीय विधानसभा द्वारा पारित किया गया था. परन्तु इसे कानून बनने में विफलता ही हासिल हुई क्योंकि तत्कालीन राज्यपाल, सईद उज जमां सिद्दीकी ने इस्लामी राजनैतिक संगठन जमाते इस्लामी के मुखिया मलिक सिराज के दबाव में इसे जनवरी 2017 में वापस कर दिया और कालांतर में इसे प्रभावी रूप से अवरुद्ध कर दिया गया.
मानवाधिकार कार्यकर्ता सामने लाते रहे हैं भयावह सच
पाकिस्तान के अंग्रेज़ी दैनिक ‘डॉन’ में एक स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ता के मुताबिक, “पाकिस्तान में सिंध के उमरकोट ज़िले में जबरन धर्म परिवर्तन की क़रीब 25 घटनाएं हर महीने होती हैं. इलाक़ा बेहद पिछड़ा हुआ है. यहां रहने वाले अल्पसंख्यक अनुसूचित जाति के हैं और जबरन धर्म परिवर्तन की उनकी शिकायतों पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती. यह हाल केवल एक जिले का है तो इस विभीषिका की भीषणता का अनुमान तो लगाया ही जा सकता है.
कट्टरपंथी इस्लामिक दलों के घनिष्ठ सहयोग से सत्ता के पायदान चढ़ने वाले इमरान खान इस तरह की बातों से केवल वैश्विक समुदाय की आंखों में धूल ही झोंकना चाहते हैं. पाकिस्तान में, राज्य ही अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है. इसका सबसे बड़ा उपकरण पाकिस्तान का भेदभाव मूलक कानून है. पिछले वर्षों इस तरह की सैकड़ों घटनाएं सामने आती रही हैं परन्तु अभी तक यह नहीं देखा गया कि किसी दोषी को सजा मिल सकी हो. वर्तमान व्यवस्था के जारी रहने तक यहां अल्पसंख्यकों का भविष्य भी अन्धकारमय ही है.
(लेखक पाकिस्तान संबंधी विषयों के विशेषज्ञ हैं. प्रस्तुत लेख में लेखक के विचार, उनके व्यक्तिगत विचार हैं)
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