नागरिकता संशोधन अधिनियम पर हिंसा को लेकर रक्षा विशेषज्ञ व बुद्धिजीवियों ने जताई चिंता

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हिंसक प्रदर्शनों के पीछे की साजिशों का पर्दाफाश करना जरूरी : कर्नल जयबंस सिंह
बोले, अधिनियम गांधी जी व नेहरू जी की अपेक्षाओं के अनुरूप

Source – उत्तम हिन्दू

जालंधर (उत्तम हिन्दू न्यूज)-  विश्व संवाद समिति की ओर से ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम-भ्रम और वास्तविकता’ विषय पर आयोजित गोष्ठी के दौरान देश के सुविख्यात रक्षा विशेषज्ञों व बुद्धिजीवियों ने देश में जारी हिंसा के दौर पर चिंता जताई और इसके पीछे देशविरोधी ताकतों की गहरी साजिश बताया। देश के जाने माने रक्षा विशेषज्ञ व रक्षा मामलों के लेखक कर्नल (से.नि.) जयबंस सिंह ने तो इन साजिशों का पर्दाफाश करने की जरूरत पर जोर दिया और राष्ट्रहितैषी शक्तियों को जागरुक रहने का आग्रह किया।

चौगिट्टी बाईपास पर एक निजी रिसोर्ट में आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे कर्नल जयबंस सिंह ने कहा कि देश की संसद द्वारा संवैधानिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद पास हुए इस अधिनियम पर हिंसक आंदोलन बहुत चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर नागरिक को सरकार के किसी भी कदम का समर्थन या विरोध करने का संवैधानिक अधिकार है परंतु विरोध की आड़ में हिंसा, आगजनी, तोडफ़ोड़ की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। श्री सिंह ने कहा कि हिंसक प्रदर्शनों की प्रकृति बताती है कि यह न केवल राष्ट्र विरोधी ताकतों के इशारे पर हो रहा है बल्कि पेशेवर लोगों की सुनियोजित योजना के तहत यह सब किया जा रहा है। मुख्य वक्ता ने कहा कि पड़ौस के तीन इस्लामिक गणराज्यों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की अवधारणा को देश के विभाजन के समय से ही देश के सभी राजनीतिक दलों, नेताओं और लोगों ने स्वीकार किया था। महात्मा गांधी से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू और निवर्तमान प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह तक ने इसके पक्ष में स्पष्ट रूप से मांग की थी। वर्तमान सरकार ने इसी एतिहासिक अवधारणा को धरातल पर लागू करने का साहस दिखाया है जिसके लिए वह बधाई की पात्र है। कुछ शक्तियां गलत सूचना के माध्यम से भ्रम फैला कर वातावरण को विषाक्त बना रही हैं और उनको पहचान कर पूरी सच्चाई जनता के सामने लाना जरूरी है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम किसी भी तरह से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स से जुड़ा नहीं है और इसी की आड़ में देश में भय का वातावरण तैयार किया जा रहा है। नागरिकता संशोधन अधिनियम प्रताडि़त पाकिस्तानी, बंगलादेशी व अफगान अल्पसंख्यकों न्याय देने जा रहा है जबकि नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स की योजना अभी विचाराधीन है। नागरिकता संशोधन अधिनियम किसी भी तरह से भारतीय नागरिक को प्रभावित नहीं करेगा। दूसरे देशों से आने वाले किसी भी नागरिक को नियमित रूप से भारतीय नागरिकता मिलती रहेगी, इसलिए मौजूदा कानूनों के तहत नागरिकता की तलाश करने वालों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

अफगानिस्तान, बांग्लादेश और विशेष रूप से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के बारे में बोलते हुए कर्नल जयबंस सिंह ने कहा कि न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को इसका संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि यह मानव अधिकारों के उल्लंघन की निकृष्ठतम उदाहरण है। इन राष्ट्रों में अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या लगभग नगण्य हो गई है। इन दुर्भाग्यपूर्ण लोगों की पीड़ा को दूर करने के प्रयास में भारत के शामिल होने का एतिहासिक आधार है क्योंकि यह देश किसी समय भारत के ही अंग रहे हैं।

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